वैदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु के साथ आदित्य अर्थात सूर्य का होना गुरु आदित्य योग का निर्माण करता है. सूर्य राजा ग्रह है. सूर्य आत्मा, अधिकार, अहंकार, पिता और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है. बृहस्पति धन, ज्ञान और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है. इन दोनों का प्रभाव जीवन में शिक्षकों और गुरुओं का भी प्रतिनिधित्व करता है. वैदिक ज्योतिष में सूर्य और गुरु को ज्ञान से संबंधित ग्रहों की श्रेणी में रखा जाता है. इन दोनों का एक साथ होना गुरु आदित्य योग का निर्माण करता है. इस युति को बहुत शुभ माना जाता है. यह योग आत्मविश्वास और अधिकार का विस्तार करने वाला होता है तथ आत्मविश्वासी एवं ज्ञानवान बनाता है. 

गुरु आदित्य योग पहले भाव में प्रभाव

यह योग जब पहले भाव में बनता है तो अच्छा माना जाता है. व्यक्ति के न्यायिक सेवाओं में शामिल होने के उच्च अवसर होते हैं. वह न्याय करने में योग्य होता है. वरिष्ठ एवं कुल का वाहक होता है.  पद प्राप्ति की उच्च संभावना है. अंतर्राष्ट्रीय संगठन में काम करने की काफी संभावना होती है. व्यक्ति आकर्षक दिखने वाला व्यक्ति होता है. आकर्षक व्यक्तित्व होता है. जीवन भर अच्छे स्वास्थ्य का आनंद पाने में सक्षम होते हैं. 

गुरु आदित्य योग दूसरे भाव में प्रभाव

दूसरे भाव में इस योग का प्रभाव होने पर व्यक्ति अच्छे कुल में जन्म लेता है. ईमानदार और आकर्षक व्यक्तित्व प्राप्त होता है. व्यकित खुद को अपना बॉस मानता है. वाक्पटु होता और वाणी में नेतृत्व के गुण होते हैं. द्वितीय भाव में इस योग का प्रभाव एक शाही और प्रसिद्ध परिवार दिलाता है. पिता बहुत ही प्रतिष्ठित और जाने-माने व्यक्ति होते हैं. जीवन के प्रति भौतिकवादी दृष्टिकोण हो सकता है और मानसिक तनाव से पीड़ित हो सकता है.

गुरु आदित्य योग तीसरे भाव में प्रभाव

तीसरे भाव में इस योग के होने पर व्यक्ति प्रतिभाशाली होता है, बहादुर और स्वाभिमान से भरा होता है. प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित होता है. दुष्ट और आक्रामक स्वभाव का हो सकता है. सामान्यतः समाज में अच्छा सम्मान पाता है. आर्थिक रुप से मजबूत होता है. धनवान हो सकता हैं. संपत्ति को अपनी मेहनत से हासिल करता है. कुछ मामलों में व्यक्ति बहुत लालची होता है. प्रतियोगिताओं में अच्छी सफलता पाता है. मार्गदर्शक और उच्च सलाहकार भी हो सकता है. इस भाव में इस योग का शुभ प्रभाव व्यक्ति को सामाजिक रुप से प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक होता है. व्यक्ति को लेखन एवं पत्र पत्रिकाओं में भागीदारी का अवसर भी प्राप्त होता है. 

गुरु आदित्य योग चतुर्थ भाव में प्रभाव

गुरु आदित्य योग का प्रभाव जब चतुर्थ भाव से जुड़ता है तो यह कई तरह के सकारात्मक असर को दिखाता है. व्यक्ति को इसके द्वारा परिवार में समृद्धि का योग भी प्राप्त होता है. व्यक्ति प्राय: बुद्धिमान और सजग होता है. जीवन में कई तरह की उपलब्धियों को पाने में भी सक्षम होता है. एक समृद्ध और शानदार जीवन जीने का सुख भी उसे प्राप्त होता है. सरकार की ओर से बेहतर सकारात्मक रुख की प्राप्ति भी होती है. सरकारी कार्यों में अच्छा प्रदर्शन करने वाला होता है. सत्ता से लाभ मिलता है. अपने परिश्रम एवं कर्म के द्वारा व्यक्ति बहुत प्रसिद्ध होता है. माता-पिता का  प्रेम मिलता है अनुशासन भी उनकी ओर से कठोर रह सकता है. आध्यात्मिक और धार्मिक होने का गुण भी माता-पिता से प्राप्त हो सकता है. व्यक्ति पर अपनी पैतृक संपत्ति में से कुछ लाभ को प्राप्त करने में सफल होता है. अर्थशास्त्र और प्रबंधन के कार्यों में रुचि रखने वाले होते हैं.

गुरु आदित्य योग पंचम भाव में प्रभाव

गुरु आदित्य योग का प्रभाव पंचम भाव में होने पर व्यक्ति को अपने जीवन में शिक्षा एवं ज्ञान को प्राप्त करने के अनुकूल मौके प्राप्त होते हैं. इस योग के द्वारा कला हो या फिर गणनात्मक य अफिर विज्ञान सभी में प्रगति के मौके मिल सकते हैं. कुछ मामलों में व्यक्ति को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में देरी का सामना करना पड़ सकता है. एक से अधिक रुझान होने पर स्थिति इस तरह से अपना असर डालने वाली होती है. संतान सुख की प्राप्ति में यह योग कुछ देरी दे सकता है, अथवा परेशानी हो सकती है. व्यक्ति के आस-पास के लोग उसे एक बुद्धिमान व्यक्ति मानते हैं. वे बहुत ज्ञानी होता है तथा अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाने के लिए भी उसमें काफी जिज्ञासा बनी रहती है. सरकार के लिए काम करने के अवसर भी व्यक्ति को प्राप्त होते हैं. स्वास्थ्य के लिहाज से थोड़ा संभल कर रहने की आवश्यकता होती है. पाचन संबंधी दिक्कतों और लीवर से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ब्लड प्रेशर, शुगर और डायबिटीज जैसी रक्त संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसलिए सेहत से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक होता है. 

गुरु आदित्य योग छठे भाव में प्रभाव

गुरु आदित्य योग का छठे भाव में होना मिलेजुले असर को दिखाने वाला होता है. यह स्थिति व्यक्ति को चतुर बनाती है. व्यक्ति अपने काम में बुद्धिमान तो होता है लेकिन साथ ही साहस भी उसमें खूब होता है. अपने विरोधियों को परास्त करने में उसे अच्छी योग्यता भी प्राप्त होती है. व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों को संभालने और उन्हें अपने पक्ष में बदलने में माहिर होता हैं. अपने शत्रुओं पर विजयी होने का लाभ इस योग के द्वारा उसे मिल सकता है. प्रशासनिक कार्यों में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता उनमें होती है. व्यक्ति विनम्र और दयालु होता है. धन संचय करने की ओर झुकाव हो सकता है और इसके लिए वे कड़ी मेहनत भी करता है. हृदय एवं उदर संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. 

गुरु आदित्य योग सप्तम भाव में प्रभाव

सप्तम भाव में गुरु आदित्य योग का होना व्यक्ति के आपसी समझौतों पर असर डालने वाला होगा. व्यक्ति अपनी विचारधारा को दूसरों पर आरोपित करने वाला होता है. राजनितिक एवं सामाजिक क्षेत्र में काम करने के लिए अवसर मिलेंगे. जीवनसाथी प्रभावशाली स्वभाव का हो सकता है. व्यक्ति के अपने सहकर्मियों के साथ संबंध अधिक अनुकूल नहीं रह पाते हैं. यहां विचारधाराओं को लेकर मतभेद की स्थिति बनी रह सकती है. व्यक्ति कुछ दयालु और उदार हो सकता है. दूसरों के साथ संवाद करने में उसे सफलता मिलती है. व्यक्ति के बेहतर परामर्श देने में भी सक्षम होता है. विवाह के बाद भाग्य में वृद्धि का योग भी बनता है. अभिमान एवं अहंकार के कारण आपसी संबंधों में समस्या आ सकती है. आमतौर पर व्यक्ति का स्वभाव बहुत ही आलोचनात्मक होता है. राजनीति में इनकी रुचि होती है तथा सफल राजनयिक बनने में आगे रहते हैं. 

गुरु आदित्य योग नवम भाव में प्रभाव

गुरु आदित्य योग के नवम भाव एक अच्छा योग माना गया है. इस स्थान पर इन दोनों का प्रभाव व्यक्ति को प्रसिद्धि और समृद्धि दिलाने वाला होता है. व्यक्ति कई विषयों के बारे में ज्ञान प्राप्त करना चाहता है और दूसरों को पढ़ाने की भी इच्छा रखता है. आशावादी होता है और हमेशा लोगों को स्थिति का अनुकूल पक्ष दूसरों को दिखाने वाला होता है. व्यक्ति के लिए नैतिकता और सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण हैं. अपनी परंपराओं के लिए काम करने वाला होता है. दर्शन शास्त्र, इतिहास एवं ज्योतिष जैसी शिक्षाओं को अर्जित करने के साथ साथ दूसरों को भी इनसे जोड़ता है. लोग अक्सर बड़े सपने देखते हैं, उन्हें पूरा करने में सफल हो सकते हैं. अपने पिता एवं वरिष्ठ लोगों की इच्छा का पालन करते हैं. उनके बच्चों में महान गुण होते हैं और वे बहुत गुणी होते हैं, और बड़े होने पर वे बहुत प्रसिद्ध हो सकते हैं.

गुरु आदित्य योग दशम भाव में प्रभाव

दशम भाव में सूर्य और गुरु की युति जातक को समाज में अच्छा नाम और सम्मान देती है. वे शक्तिशाली और अत्यधिक प्रतिष्ठित हो सकते हैं. आरामदायक और शानदार जीवन जीने में सफल होते हैं. अधिकांश क्षेत्रों में सफल होते हैं. वे सामाजिक कल्याण से संबंधित गतिविधियों में बहुत सक्रिय हैं इसमें नाम भी कमाते हैं. मेहनती होते हैं और अपने प्रयासों से कई संपत्तियां हासिल करते हैं. इसके अतिरिक्त, वे राजनीति के विषय में भी रुचि रखते हैं. व्यक्ति अपने जीवन में करियर को लेकर सफलता भी पाता है. 

गुरु आदित्य योग ग्यारहवें भाव में प्रभाव
गुरु आदित्य योग का प्रभाव एकादश भाव में होने पर व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए आतुर रहता है. सामाजिक रुप से उसका दायरा मजबूत होता है. उसकी बातों को दूसरे लोग मान सम्मान देने वाले होते हैं. व्यक्ति जीवन भर अच्छी जीवन शक्ति और अच्छा स्वास्थ्य भी पाने में सफल रहता है. दयालु और मददगार होता है दूसरों के लिए सहयोगी रहता है. अपनी दोस्ती के मामले में बहुत खुशकिस्मत होता हैं. कई वफादार दोस्त और अच्छे सामाजिक मित्र होते हैं. आर्थिक रुप से व्यक्ति धनवान और होता है, जीवन में मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर सजग होता है और शानदार वस्तुओं को पाता है. जीवन में आसानी से सफलता मिल जाती है, खासकर शेयर बाजारों के क्षेत्र में अच्छे लाभ पाते हैं. ज़िम्मेदार व्यक्ति होते हैं, ख़ासकर अपने परिवारों को लेकर इनका दृष्टिकोण काफी मजबूत होता है.

गुरु आदित्य योग बारहवें भाव में प्रभाव
गुरु आदित्य योग का प्रभाव बारहवें भाव में होना बाहरी संपर्क द्वारा लाभ ओर चुनौतियों को दर्शाता है. इस युति के असर द्वारा व्यक्ति दयालु और दानशील बनता है. धार्मिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों से जुड़ता है और सामाजिक रुप से कई तरह के कार्य करता है. व्यक्ति के विचारों में विद्रोह की भावना भी अधिक होती है. कई बार व्यक्ति विवाद में अधिक शामिल दिखाई दे सकता है. उसमें नैतिकता की कमी हो सकती है. संकीर्ण सोच का प्रभाव भी व्यक्ति में अधिक रह सकता है. अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर सकता है. आर्थिक रुप से परेशानी अधिक झेलनी पड़ सकती है.