बुध ग्रह का आत्मकारक रुप में होना कुंडली में बुध के द्वारा पड़ने वाले विशेष प्रभावों को दर्शाता है. जैमिनी ज्योतिष अनुसार ग्रहों का विभिन्न कारक रुपों में होना उनके द्वारा मिलने वाले फलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. कोई भी ग्रह किसी भी

सूर्य के साथ बृहस्पति के मेष राशि में गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह का रहता है. यह गोचर कुछ राशि के लिए अच्छे परिणामों को देने वाला होगा ओर कुछ को कमजोर कर देने वाला होगा. विस्तार और विकास के अवसर मिल सकते

राहु के साथ गुरु का योग मेष राशि में जब गोचर के लिए होता है तब इस स्थिति में बदलाव और बौद्धिक ज्ञान में नए विचारों के साथ जानकारी बढ़ाने की स्थिति भी हमारे सामने होती है. वैदिक ज्योतिष में राहु एक छाया ग्रह है जो समाज की सीमा को तोड़ने के

मेष राशि में सूर्य और राहु का योग कई तरह के असर दिखाने वाला समय होता है. किसी भी युति का निर्माण तब होता है जब दो या दो से अधिक ग्रह एक दूसरे के निकट होते हैं. या वह एक राशि भाव में स्थित होते हैं. इसी में जब मेष राशि में सूर्य के साथ राहु

बुध के मेष राशि में राहु के साथ होने की स्थिति अचानक होने वाले बदलावों को दिखाने वाली होती है. बुध और राहु का मेष राशि में गोचर अचानक से चीजों को घटित करने के लिए ऊर्जा की अधिकता देखने को मिलती है. बुध को संचार, बुद्धि और मानसिक चपलता के

शुक्र का मेष राशि में गोचर करना उसके परिभ्रमण का एक हिस्सा है, किंतु जब भ्रमण की इस स्थिति पर वक्रता का प्रभाव पड़ता है तो यह अपने प्रभाव में कई तरह के बदलाव दिखाता है. शुक्र के मेष राशि में होने का उत्साही एवं क्रियात्मक प्रभाव अधिक देखने

नवांश कुंडली ग्रहों की शक्ति एवं उनके प्रभाव को देखने हेतु महत्वपूर्ण होती है.  नवांश कुंडली में मंगल की उपस्थिति जिस स्थान एवं ग्रहों के साथ होगी उसकी क्षमता एवं प्रभाव उसी के अनुरुप प्राप्त होते हैं. नवांश कुंडली के प्रयेक भाव में

वर्तमान में मीन राशि में स्थित बृहस्पति अब एक बार पुन: गोचर में अस्त होने वाले हैं. बृहस्पति का अस्त होना गोचर एवं आध्यात्मिक दोनों ही पहलुओं से काफी विशेष माना जाता है. गुरु की स्थिति को अत्यंत शुभ माना गया है ओर जब गुरु अस्त होते हैं तो

कुंडली में प्रत्येक भाव अपने आप में परिपूर्ण होता है, लेकिन इसके साथ ही एक कुछ भाव ऎसे होते हैं जिनका प्रभाव बेहद ही शुभ और विशेष बन जाता है. इन भावों को केन्द्र भाव की संज्ञा दी जाती है. कुंडली में मौजूद यह भाव व्यक्ति के अस्तित्व पर

बृहस्पति एक अत्यंत शुभ ग्रह है ओर केतु एक नकारात्मक ग्रह के रुप में पाप ग्रह माना गया है. यह छाया ग्रह है जो जब कुंडली में बृहस्पति के साथ होता है तो इसका योग बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है. बृहस्पति अंतर्दृष्टि के प्रकाश को देते हुए अज्ञानता

शुक्र को बेहद शुभ ग्रह के रुप में देखा जाता है. यह जीवन में इच्छाओं को उत्पन्न करने एवं सुखों को प्रदान करने वाला माना गया है. शुक्र की स्थिति व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक एवं विशेष असर दिखाने वाली होती है. शुक्र जब गोचर में एक राशि एक

मंगल उत्साह और साहस का ग्रह है. यह जिस राशि में होता है उस राशि के साथ जुड़कर अपना फल देता है. मंगल की स्थिति जीवन में व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. व्यक्ति अपने जीवन के संकल्पों एवं निर्णयों के लिए जिम्मेदार होता है. आइये

बुध एक ऎसा ग्रह है जो अपनी तेज रफता के साथ चलते हुए गोचर में अपना असर हर राशि पर जल्द से जल्द देने की कोशिश करता है. बुध को राशि चक्र का एक चक्र पूरा करने में लगभग साल का समय लग जाता है यह सूर्य के समान ही उसके पास या आगे पीछे रहते हुए

बुध को संस्कृत में बुद्ध कहा जाता है और इसका अर्थ बुद्धिमत्ता और तर्क की कुशलता. बुध जितना अच्छा होगा उतना ही गुण बेहतर होता चला जाएगा. बुध एक ऎसा ग्रह है जो वाणी और बुद्धि का ऎसा संतुलन देता है जिसके कारण व्यक्ति का काया कल्प हो सकता है.

मंगल ग्रह का गोचर जन्म कुंडली के जिस भाव में होगा वहां बैठ कर कई तरह के असर दिखाने वाला होता है. मंगल ग्रह प्रत्येक राशि में लगभग 40 दिनों तक गोचर करता है. जन्म के समय चंद्रमा जिस भाव में स्थित होता है, वहां से तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव

गोचर नियम अनुसार ग्रहों की स्थ्ति भाव अनुरुप फल प्रदान करती है. चंद्रमा का गोचर भी उसी अनुसार काम करता है. जन्म कुंडली में चंद्रमा का असर जिस भाव में होगा उसी अनुसार परिणाम मिलते हैं. गोचर के चंद्रमा को जब जन्म कुंडली में जन्मकालीन चंद्रमा

गोचर नियम अनुसर ग्रहों की शुभता एवं अशुभता का प्रभाव जन्म राशि होने वाले ग्रह के गोचर की स्थिति पर निर्भर करता है. सभी ग्रहों की गोचर का फल उनकी इसी स्थिति के अनुसर मिलता है. जन्म कुंडली में कुछ भावों पर गोचर शुभ होता है तो कुछ अशुभ. हर

सूर्य महादशा का प्रभाव व्यक्ति के ऊपर एक कम अवधि के लिए पड़ता है. इस दशा के दोरान व्यक्ति आत्मिक रुप से जागरुक बनता है. वह अपने आस पास की स्थिति को अब बहुत अधिक गहराई से देख पाता है. सूर्य आत्मा का कारक है जिसके चलते व्यक्ति जो भी अनुभव

07 मार्च 2024 को बुध का मीन राशि में गोचर होना तय है. यह विभिन्न राशियों के जातकों के जीवन में बड़े बदलाव ला सकता है. बुध एक व्यक्तिगत ग्रह है जो हमारे व्यक्तित्व का प्रतीक हैं, बुध हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है और निर्धारित करता है,

शुक्र नई ऊर्जा और नई चीजों को बनाने का मौका देने के अलावा, लक्ष्यों को प्राप्त करने के तरीके में साहस को लाता है. 12 मार्च 2023 को शुक्र का गोचर मेष में होगा. मेष से पूर्व शुक्र जहां अपनी उच्च राशि में गोचर कर रहे थे अब वह वहां से हट कर