शुक्र को बेहद शुभ ग्रह के रुप में देखा जाता है. यह जीवन में इच्छाओं को उत्पन्न करने एवं सुखों को प्रदान करने वाला माना गया है. शुक्र की स्थिति व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक एवं विशेष असर दिखाने वाली होती है. शुक्र जब गोचर में एक राशि एक भाव में होता है तो इसका असर महत्वपूर्ण होता है. जन्म चंद्रमा जिस स्थान पर स्थित है, वहां से पहले भाव, दूसरे भाव. तीसरे भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, अष्टम भाव, नवम भाव, एकादश भाव और बारहवें भाव में शुक्र के गोचर की स्थिति शुभ फलों को प्रदान करने वाली मानी गई है.  इसके अतिरिक्त शेष भवओं पर अर्थात छठे भाव, सातवें भाव और दसवें भाव स्थान पर इसका गोचर अच्छा नहीं माना जाता है. 

शुक्र का प्रथम भाव में गोचर

जब शुक्र आपके पहले भाव से गोचर करता है, तो व्यक्ति दूसरों को खुश करने की कोशिशें करता है. आकर्षण और व्यक्तिगत आकर्षण के लिए समय विशेशः होता है. इस समय खुद के बदलाव एवं विकास पर अधिक ध्यान देते हैं और इस ओर प्रयास लगाते हैं. सामाजिक रुप से आगे रहते हैं. रिश्तों में नए संबंध भी इस समय जीवन पर असर डालते देखे जा सकते हैं. कला, रोमांस, सामाजिकता और व्यक्तिगत रचनात्मक आत्म-अभिव्यक्ति में अधिक शामिल दिखाई दे सकते हैं.इनसे संबंधित व्यवसाय में शामिल होने का यह एक अच्छा समय है लाभ प्राप्ति भी अच्छी होती है.

शुक्र का दूसरे भाव में 

शुक्र का गोचर में दूसरे भाव में होना एक अच्छा प्रभाव दिखाने वाला होता है. जनसंपर्क में काम करके व्यक्ति अच्छी स्थिति को पाता है. व्यक्ति दूसरों के प्रति भी अधिक सहयोगी होता है. दूसरों के साथ शांति बनाना है, परिवार के लिए कुछ नवीन कार्यों को करना तथा इच्छा शक्ति भी मजबूत रहती है. इस समय व्यक्ति दूसरों की कठिनाइयों को कम करने का सबसे अच्छा तरीका खोजने में मदद करने वाला होता है. शुक्र के दूसरे भाव में गोचर करते समय मौज-मस्ती के भी अवसर प्राप्त होते हैं. जब शुक्र आपके दूसरे भाव से गोचर करता है, तो यहां मुख्य रुप से शब्द कला, संगीत और शोबिज से संबंधित कामों में अच्छा करने का मौका देता है. किसी भी तरह की कलात्मक अभिव्यक्ति जैसे पेंटिंग, नृत्य, संगीत या मूर्तिकला बहुत फायदेमंद परिणाम देने वाली होती है. 

शुक्र का तृतीय भाव में गोचर

शुक्र के तीसरे भाव में गोचर का समय व्यक्ति को कई मायनों में मेलजोल की स्थिति दिलाने वाला होता है. यह सामाजिक गतिविधियों, आनंद, प्रेम, कलात्मक व्यवहार और व्यवसाय से जुड़ा रहने वाला समय होता है. इस समय यात्राओं के लिए सबसे अच्छे मौके भी मिलते हैं. अपने भाई-बहनों, पड़ोसियों, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ व्यक्ति के संबंध भी विकसित होते हैं. संचार बहुत बेहतर होता है और इसके द्वारा लाभ प्राप्ति का भी बेहतर समय होता है. व्यक्ति अपने रिश्तों को लेकर भी बहुत ही सौहार्दपूर्ण स्थिति को पाने वाला होता है. 

शुक्र का चतुर्थ भाव में गोचर

शुक्र का चतुर्थ भाव में गोचर होना व्यक्ति को भौतिक सुख समृद्धि प्रदान करने वाला होता है. शुक्र गोचर की विशेषता परिवार के सदस्यों के साथ व्यवहार में बदलाव को दिखाने वाली होती है. जीवन में नई वस्तुओं का आगमन होता है.  व्यक्ति अपनों के साथ अच्छे रिश्ते पाता है. माता-पिता के साथ बहुत अधिक सामंजस्य की अभिव्यक्ति होती है. घर में सुंदरता से संबंधित चीजों को  लाते हैं रहन सहन में बदलाव होता है.  प्रकृति से जुड़ते हैं, सुंदरता के प्रति बहुत संवेदनशील भी होते हैं. घर या बगीचे को सुंदर बनाने के लिए कला या विलासिता की वस्तुएं खरीदी जाती हैं. जमीन-जायदाद या फर्नीचर या घरेलू सामान से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल होने का योग होता है. 

शुक्र का गोचर पंचम भाव में

जब शुक्र आपके पंचम भाव से गोचर करेगा, तो कुछ रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करने वाला भी बनाता है. बच्छों या मित्रों के साथ रचनात्मकता का संब्म्ध जुड़ता है. लोगों के साथ बहुत अच्छे से घुलमिल जाते हैं. यह एक साथ खेलने और मस्ती करने का अच्छा समय है. अधिक समझ महसूस करते हैं और कई तरह के मान सम्मान भी पाने में सफल होते हैं. अधिक दयालु और उदार बनते हैं. प्रेम संबंधों से जुड़ने का समय होता है नए रिश्तों की शुरुआत का समय होता है. ये समय कई तरह के कार्यों में शामिल होने का भी अच्छा समय होता है. 

शुक्र का छठे भाव में गोचर

आपके छठे भाव से शुक्र का यह गोचर काम या पेशे से जुड़े सभी मामलों के लिए कुछ अटकाव एवं चुनौतियों को देने वाला समय होता है. इस समय सेहत की स्थिति भी प्रभावित होती है. व्यक्ति चीजों को हल करने के लिए दूसरों के साथ काम करने को तैयार होता है. कार्यस्थल पर भी दूसरों से आपको कुछ अधिक प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ सकती है. आर्थिक मदद के लिए दूसरों का पक्ष काम आता है. इस गोचर के समय वैवाहिक जीवन की स्थिति पर भी मिलाजुला असर पड़ता दिखाई देता है. इस समय पर व्यक्ति कई तरह की गतिविधियों में शामिल होता है. 

शुक्र का सातवें भाव में गोचर

सप्तम भाव में शुक्र का गोचर मिलेजुले परिणाम देने वाला होता है. शुक्र के गोचर का असर रिश्तों पर पड़ता है. जनसंपर्क, सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी का समय होता है. महत्वपूर्ण या  व्यावसायिक भागीदारों के साथ संबंधों में कुछ बदलाव अचानक से देखने को मिलता है. व्यक्ति मांगलिक सुख को पाता है. वैवाहिक जीवन से संबंधित रिश्ते भी इस समय प्राप्त होते हैं. लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध भी विकसित होते हैं. किसी के साथ समस्या होने पर इसे सुलझाने में दूसरों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण बन जाती है. 

शुक्र का आठवें भाव में गोचर

शुक्र का अष्टम भाव में गोचर होना काफी महत्वपूर्ण होता है. इस समय स्थिति कुछ कमजोर पक्ष में भी काम करने वाली होती है. सामाजिक संपर्क के माध्यम से विवाद भी उभर सकते हैं. गुप्त विरोधियों का दबाव भी अधिक बढ़ने लगता है. व्यावसायिक क्षेत्र में इस समय संभल कर काम करने की जरुरत होती है. यौन संबंधों की ओर अधिक झुकाव भी उत्पन्न होता है. इस समय के वैवाहिक जीवन के सुख पर असर पड़ता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी स्थिति कमजोर रह सकती है. संक्रमण इत्यादि का खतरा बढ़ सकता है. 

शुक्र का नवम भाव में गोचर

शुक्र का ये गोचर सामान्यत: अनुकूल सिद्ध होता है. इस अवधि में विवाह की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं नए रिश्तों का आगमन होता है. व्यक्ति के लिए यात्राओं का समय होता है. व्यक्ति संगीत, कला और प्रेम संबंधों में गहरी रुचि ले सकता है.सामाजिक रूप से सक्रिय होने का अवसर मिलता है. समाज में संबंध स्थापित होते हैं. पिता के समक्ष रिश्ते अनुकूल होते हैं. आर्थिक समृद्धि एवं पद प्राप्ति का समय होता है. 

शुक्र का दशम भाव में गोचर

शुक्र के दशम भाव में गोचर की स्थिति व्यक्ति को नए कार्यों एवं पद प्राप्ति के मोके दिलाने वाली होती है. लेकिन संघर्ष भी अधिक रह सकता है. शुक्र के प्रभाव से भाग्य का साथ कम मिलता और विवाद की संभावना भी अधिक होती है. मानसिक अशांति और शारीरिक क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है. खर्च अधिक होने की स्थिति परेशानी चिंता दे सकती है. कार्यो उन्मुख होने का समय होता है. परिवार के प्रति आकर्षण बढ़ता है, इसके अलावा समृद्ध जीवन की इच्छा भी बढ़ती है.

शुक्र का एकादश भाव में गोचर

शुक्र के लाभ भाव स्थान में गोचर के द्वारा जीवन में आगे बढ़ने की इच्छाओं को बल प्राप्त होता है. इस भाव में शुक्र के गोचर से धन, मान-सम्मान, समृद्धि, नए स्थान के साथ-साथ शत्रुओं का सामना भी होता है. यह समय सामाजिक रुप से सक्रियता देने वाला होता है. विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है. भाई बंधुओं के साथ संबंध प्रगाढ़ होते हैं. इस भाव में शुक्र का गोचर आर्थिक स्थिरता को प्रदान करने में सहायक बनता है.

बारहवें भाव में शुक्र का गोचर

शुक्र के बारहवें भाव में गोचर की स्थिति आकर्षण और जिज्ञासा में वृद्धि को दिखाती है.  व्यर्थ के भय को जन्म मिलता है. यहां शुक्र कामुकता को जन्म देता है, इस समय में व्यक्ति शांतिपूर्ण और सुकून भरा जीवन जीना चाहता है लेकिन अपनी इच्छाओं के कारण परेशानी झेलता है. शुक्र के गोचर के कारण मिश्रित फल मिलते हैं. इस समय में आर्थिक स्थिति उतार-चढ़ाव से प्रभवैत होती है.  धन हानि और खर्चों में अचानक से वृद्धि हो सकती है.