बुध को संस्कृत में बुद्ध कहा जाता है और इसका अर्थ बुद्धिमत्ता और तर्क की कुशलता. बुध जितना अच्छा होगा उतना ही गुण बेहतर होता चला जाएगा. बुध एक ऎसा ग्रह है जो वाणी और बुद्धि का ऎसा संतुलन देता है जिसके कारण व्यक्ति का काया कल्प हो सकता है. सभी अच्छे वकीलों और वाद-विवाद करने वालों के पास ये गुण बुध ग्रह के कारण ही उन्हें मिलता है. स्मृति, अवलोकन करने और जानकारी एकत्र करने की क्षमता ये सभी बातें बुध के अधीन मानी गई हैं. व्यक्ति का पढ़ना सुनना इसी बुध पर निर्भर करता है. व्यक्ति चीजों को समझने के लिए जो भी काम करता है वह बुध पर निर्भर करता है. 

मिथुन और कन्या पर बुध का असर 

बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामित्व पाता है. मिथुन राशि का चिन्ह दो चेहरे हैं, एक अंदर की ओर देख रहा है और दूसरा बाहर की ओर देख रहा है. यह ग्रहण कर लेने के लिए बुध की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है, चिंतन क्षमता का चेहरा अंदर की ओर होता है बुध उसका उपयोग करके इसका बोध कराता है और फिर दूसरों को अपनी समझ बाहर की ओर चेहरा व्यक्त या संप्रेषित करता है. यह इस अद्वितीय क्षमता के कारण है कि बुध को मौखिक संचार की शक्ति का आधिपत्य सौंपा गया है. भीतर की ओर देखने वाला चेहरा इस तथ्य से भी संबंधित है कि बुध तंत्रिका तंत्र पर शासन करता है. पीड़ित बुध तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकता है.

अब दूसरी राशि कन्या राशि है, यह एक युवा कन्या है जिसके हाथों में अनाज के बीज हैं और वह नाव पर सवार हैं. यह दिन-प्रतिदिन के कार्यों, सेवा और विकास के सांसारिक व्यापारिक मामलों के साथ बुध के संबंध का प्रतीक बनती है. हर किसी को अनाज भरण पोषण की आवश्यकता होती है जो एक कृषि प्रधान समाज में बुनियाद का प्रतिनिधित्व करता है. कारीगर वर्ग, कुशल पेशेवर वर्ग, कौशलता का उपयोग करके अपनी आजीविका अर्जित करने वाले प्रशिक्षण के लिए बुध द्वारा कन्या राशि को मजबूती मिलती है. यह कालपुरुष कुंडली में रोजमर्रा के काम का छठा भाव है. जीवन की नाव पर सवार कुमारी इस तथ्य का प्रतीक है कि हमारी बुद्धि एक कोमल अबोध रुप की तरह है. मासूमियत या हमारी बुद्धि की शून्यता के बिना, हम कुछ भी सीखने और कुछ भी अर्जित करने में सक्षम नहीं होंगे, इसके लिए जरुरी है की नाव को इस अस्थिर दुनिया में अपने अस्तित्व के अशांत जल पर चला सकें इसके लिए बुध सहायक बनता है.

बुद्धि की अपार उर्वरता को पाने में बुध सहायक बनता है. यह विचारों को जन्म देता है, समस्याओं को हल करने में हमारी मदद करता है. कालपुरुष कुंडली में तीसरा भाव मिथुन का और छठा भाव कन्या का होता है. बुध इन दोनों के द्वारा समस्याओं या बाधाओं का सामना करने की क्षमता विकसित करता है. समस्याओं को हल करने वाले विचारों के लिए बुध की आवश्यकता होती है. कन्या राशि का बुध, असीम ज्ञान देता है, यही कारण है कि कन्या राशि में बुध को उच्च का माना जाता है. बुध यहां होकर समस्याओं या बाधाओं से जूझने और हल करने के लिए परिपक्क बनाता है. 

बुध का सूर्य से संबंध 

विंशोत्तरी दशा बुध की दशा से समाप्त होती है. बुध की सहायता के बिना केतु जिस मोक्ष या मुक्ति की कामना करता है, उसे प्राप्त नहीं कर सकता है. बुध के बारे में एक और अनोखी बात यह है कि यह एकमात्र ऐसा ग्रह है जो सूर्य के बहुत करीब होने के कारण अस्त के दोष को नहीं पाता है. सूर्य की अत्यधिक रोशनी ग्रह पर हावी होने के कारण अपनी शक्ति खोने के कारण ग्रह अस्त हो जाता है लेकिन बुध सूर्य से काफी ज्ञान पाता है. बुध के लिए सूर्य उसका शिक्षक भी है. हर दूसरे ग्रह का प्रभाव तब अस्त हो जाता है जब वे सूर्य के बहुत करीब आ जाते हैं.लेकिन जब बुध सूर्य के साथ होता है, तो यह एक प्रसिद्ध राजयोग बनाता है. इस शुभ योग के कारण जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करने में व्यक्ति सक्षम होता है.

सूर्य के साथ बुध बुधादित्य योग कहलाता है. यह योग जातक को बहुत तेजवान बनाता है. बुध बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है और सूर्य सत्य या आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है. सत्य या आत्मा के प्रकाश से प्रकाशित एक बुद्धि अधिक ज्ञान को लाती है और किसी भी तरह से हानिकारक नहीं होती है. इससे हमें स्पष्ट पता चलता है कि बुध सूर्य की किरणों से अस्त क्यों नहीं होता. यह सूर्य या आत्मा द्वारा प्रकाशित होने पर और अधिक शक्तिशाली हो जाता है.यह सूर्य के सबसे निकट का ग्रह भी है. यह इस तथ्य को इंगित करता है कि  सूर्य से निकलने वाली जीवन शक्ति के अलावा, बुद्धि जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कारक है. सूर्य के तेज से प्रकाशित उज्ज्वल बुद्धि के बिना हम सभी अधूरे हैं. 

बुध जीवन के आरंभिक जीवन अबोध पलों के लिए विशेष होता है क्योंकि ज्योतिष में बुध राजकुमार है. बच्चा जीवन के इस चरण में अपने आस-पास की हर प्रासंगिक वस्तु और व्यक्ति को पहचानना सीखता है. बच्चे जिज्ञासु और बेचैन होते हैं यह क्षमता उसे अपने आस पास के माहौल से मिलती है. चीजों को सीखने में बुध मदद करती है. बुध भाषा और संचार पर अधिकार रखता है. बुध भी चंद्रमा को छोड़कर सभी ग्रहों में सबसे अधिक जिज्ञासु और बेचैन करने वाला ग्रह है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह चंद्रमा को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों की तुलना में कम समय में सभी राशियों पर भ्रमण पूरा कर लेता है. मजबूत बुध वाला व्यक्ति जीवन भर अपनी जिज्ञासा बनाए रखता है. वह जीवन भर ज्ञान में सीखते और बढ़ते रहते हैं. वहीं बुध का कमजोर होना सीखने और समझने के गुण पर असर डालने वाला होता है.