ज्योतिष शास्त्रों में शनि की व्याख्या अधिक की गई है, शनि की महादशा और शनि की साढेसाती से हर व्यक्ति प्रभावित होता है. शनि  व्यक्ति को जीवन के उच्चतम शिखर या निम्नतम स्तर में बिठा सकते है. ज्योतिष शास्त्र के अलग- अलग ग्रन्थों में शनि का अलग- अलग महत्व दर्शाया गया है. वैदिक ज्योतिष के ग्रन्थों में "वृहत्पराशर होरा शास्त्र”, "जातक तत्वम', " फलदीपिका" और इसी प्रकार अन्य ग्रंन्थों में भी शनि के विषय में बहुत कुछ कहा गया है.

सभी ग्रन्थों के मिले-जुले वर्णन के अनुसार शनि बलवान प्रकृति के, कठोर, ग्रह हैं. जब व्यक्ति पर शनि की कृ्पा होती है तो व्यक्ति के पास इतना धन आता है कि वह संभाले नहीं संभलता है. परन्तु जब शनि रुष्ट होते है तो व्यक्ति को एक वक्त का भोजन भी नसीब नहीं होता है.

शनिदेव नौ मुख्य ग्रहों में से एक ग्रह हैं. शनि ग्रह को न्याय का देवता कहा जाता है यह जीवों सभी कर्मों का फल प्रदान करते हैं. इन्हें भृत्य भी कहा गया है. शनि देव महापराक्रमी  न्यायाधीश हैं इनके प्रभाव से कोई अछूता नहीं रहता यह किसी के साथ अन्याय नहीं करते यह स्वभाव से उग्र और हठी  हैं अपने पिता सूर्य से इनके संबंध कभी भी ठीक नहीं रहे.

संक्षेप में कहे तो शनि जब देते है तो छप्पर फाड कर देते है. परन्तु जब वे लेने पर आते है तो व्यक्ति के पास दु:ख के पास कुछ नहीं छोडते है. प्रत्येक व्यक्ति के लिये शनि समान नहीं हो सकते है. शनि की प्रकृ्ति व शनि के प्रभाव से मिलने वाले फल जन्म कुण्डली के ग्रह-योग व महादशा- अन्तर्दशा पर काफी हद तक निर्भर करते है. कुण्डली में शनि निर्बल अवस्था में हो या अपनी पाप स्थिति के कारण अपने पूर्ण फल देने में असमर्थ हों, उन्हें शनिवार संबंधि उपायों को करने का प्रयास करना चाहिए.

शास्त्रों में वर्णित विधियों में से एक प्रमुख उपाय शनि की शांति हेतु रुद्राभिषेक व हनुमानजी की सेवा, हवन आदि करने महत्वपूर्ण होते हैं.

शिव की पूजा एवं अराधना द्वारा शनि देव को प्रसन्न किया जा सकता है. इसके लिए काले तिल एवं कच्चा दूध  प्रतिदिन शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए.

शनिवार के दिन कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी शक्ल देखें तथा उसे दान कर दें ऐसा लगातार हर शनिवार तक करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है.

काले उड़द भिखारियों को दान करें तथा जल में प्रवाहित करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.

भगवान हनुमान जी की पूजा एवं प्रत्येक शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ शनि के शांति उपायों में सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करने वाला होता है.

प्रत्येक शनिवार को सोते समय शरीर व नाखूनों पर तेल से मालिश करें. मद्य तथा नशीली चीजों का सेवन न करें.

शनि के बुरे प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए आप शनि के लिए दान में दी जाने वाली वस्तुओं में व्यक्ति को अपने वजन के बराबर काले चनों को दान में देना चाहिए इसके अतिरिक्त काले कपडे, जामुन, काली उडद, काले जूते, तिल, लोहा, तेल, नीलम ,कुलथी,काले फ़ूल,कस्तूरी सोना आदि वस्तुओं को शनि के निमित्त दान में दे सकते हैं.

शनि की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु तिल , उड़द, कालीमिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए.

इसके अतिरिक्त जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शनि की साढेसाती, शनि की ढैय्या या फिर शनि की महादशा, अन्तर्दशा चल रहीं, उन व्यक्तियों के लिये शनि व्रत को करना विशेष रुप से कल्याणकारी रहता है. शनिवार के व्रत को करने से जोडों के दर्द, कमर दर्द, स्नायु विकार में राहत मिलती है. यह मानसिक चिन्ताओं में कमी कर व्यक्ति को आशावादी बनाता है. ऐसे कई उपायों द्वारा शनि के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है.