अश्वनी ,आश्लेषा ,मघा ,ज्येष्ठा ,मूल तथा रेवती  नक्षत्र  गण्डमूल नक्षत्र कहे जाते हैं. यह नक्षत्र संधि क्षेत्र में आने से  दुष्परिणाम देने वाले माने जाते हैं. इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चों के सुखमय भविष्य के लिए इन नक्षत्रों की शांति करवानी आवश्यक मानी गई है. मूल शांति कराने से इनके कारण लगने वाले दोष शांत हो जाते हैं. अन्यथा इनके अनेक प्रभाव लक्षित होते हैं जो इस प्रकार से प्रभावित कर सकते हैं. अश्वनी  नक्षत्र के पहले चरण  में जन्म हो तो पिता को कष्ट तथा अन्य चरणों में शुभ होता है.

आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण  में जन्म हो तो शुभ ,दूसरे में धन हानि ,तीसरे में माता को कष्ट तथा चौथे में पिता को कष्ट होता है. यह फल पहले दो  वर्षों में ही मिल जाता है.

मघा नक्षत्र के पहले चरण  में जन्म हो तो माता के पक्ष को हानि ,दूसरे में पिता को कष्ट तथा अन्य चरणों में शुभ होता है.

ज्येष्ठा नक्षत्र के पहले चरण  में जन्म हो तो बड़े भाई को कष्ट ,दूसरे में छोटे भाई को कष्ट, तीसरे में माता को कष्ट तथा चौथे में पिता को कष्ट होता है. यह फल पहले वर्ष में ही मिल जाता है. ज्येष्ठा नक्षत्र एवम मंगलवार के योग में उत्पन्न कन्या अपने भाई के लिए घातक होती है.

मूल नक्षत्र के पहले चरण  में जन्म हो तो पिता को कष्ट दूसरे में माता को कष्ट तीसरे में धन हानि तथा चौथे में शुभ होता है. मूल नक्षत्र व रवि वार के योग में उत्पन्न कन्या अपने ससुर का नाश करती है. यह फल पहले चार वर्षों में ही मिल जाता है.

मूल नक्षत्रों की शांति उपाय | Remedies for Mool nakshatra shanti

जन्म नक्षत्र के अनुसार देवता का पूजन करने से अशुभ फलों में कमी आती है तथा शुभ फलों की प्राप्ति में सहायता प्राप्त होती है. यदि आप अश्विनी, मघा, मूल नक्षत्र में जन्में हैं तो आपको गणेश जी का पूजन करना चाहिए. इस नक्षत्र में जन्में व्यक्तियों को माह के किसी भी एक गुरुवार या बुधवार को धूसर रंग के वस्त्र, लहसुनिया आदि में से किसी भी एक वस्तु का दान करना फलदायी रहता है. आपको मंदिर में झंडा फहराने से भी लाभ मिल सकता है.

यदि आप आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र में जन्में हैं तो आपके लिए बुध का पूजन करना फलदायी रहता है. इस नक्षत्र में जन्में व्यक्तियों को माह के किसी भी एक बुधवार को हरी सब्जी, हरा धनिया, पन्ना, कांसे के बर्तन, आवला आदि वस्तुओं में से किसी भी एक वस्तु का दान करना शुभकारी रहता है.

मूल शांति पूजा | Mool shanti worship

उपरोक्त उपायों के अतिरिक्त जो उपाय सबसे अधिक प्रचलन में है, उसके अनुसार यदि बच्चा गण्डमूल नक्षत्र में जन्मा है तब उसके जन्म से ठीक 27वें दिन उसी जन्म नक्षत्र में चंद्रमा के आने पर गंडमूल शांति पूजा करानी चाहिए. ज्येष्ठा मूल या अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक के लिउक्त नक्षत्रों से संबंधित मंत्रों का जाप करवाना चाहिये तथा मूल नक्षत्र शान्ति पूजन करना चाहिए तथा ब्राह्मणों को दान दक्षिणा एवं भोजन कराना चाहिए. यदि किसी कारणवश 27वें दिन यह पूजा नहीं कराई जा सकती तब माह में जिस दिन चंद्रमा जन्म नक्षत्र में होता है तब इसकी शांति कराई जा सकती है.