गुरू के घर परिवर्तन का धनु राशि पर प्रभाव (Impact of Jupiter’s Transit Into Aquarius on Sagittarius Sign)

नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु की उपाधी प्राप्त है. बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और एक बहुत ही शुभ ग्रह भी हैं. जन्म कुण्डली में लग्न में स्थित बृहस्पति को एक हजार दोषों को समाप्त करने वाला भी कहा जाता है. बृहस्पति की दृष्टि को गंगाजल के समान पवित्र बताया गया है. इस प्रकार के शुभ प्रभाव देने के परिणाम स्वरूप बृहस्पति अर्थात गुरु को एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह कहा जाता है.

भचक्र में सभी ग्रहों का गोचर बहुत ही प्रभाव पूर्ण माना गया है. गुरु का गोचर एक लम्बे समय तक प्रभाव डालने वाला होता है. ज्योतिष में बृहस्पति और शनि के गोचर का प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. गुरु का गोचर एक वर्ष तक जातक को बहुत ही असरदार रुप से प्रभावित करने वाला होता है. आइए जानते हैं कि गुरु का गोचर किस प्रकार भिन्न-भिन्न स्थानों पर अपना फल देता है.

(बृहस्पति) गुरु का गोचर फल विभिन्न भावों में

लग्न पर गुरु का गोचर

बृहस्पति का गोचर लग्न कुंडली में होने पर शुभ माना जाता है. यह जातक को मानसिक रुप से मजबूत और सक्षम बनाने में बहुत सहायक होता है. समाज में जातक को सम्मान की प्राप्ति होती है. अपने कामों को लेकर जातक बहुत अधिक प्रयास में रहता है और उसे उनमें सफलता भी प्राप्त भी होती है. व्यक्ति रचनात्मक कामों में अपना समय लगाता है.

गुरु का धन भाव पर गोचर फल

गुरु का दूसरे भाव में गोचर शुभ स्थिति देने वाला होता है. गुरु के दूसरे भाव में गोचरस्थ होने से व्यक्ति धन से जुड़े मसलों में राहत की उम्मीद पाता है. व्यक्ति की वाणी में सुधार दिखाई दे सकता है. उसके बोल चाल से दूसरा व्यक्ति प्रभावित भी हो सकता है.

तीसरे भाव में गुरु का गोचर

तीसरे भाव में गुरु का गोचर आपकी भागदौड़ बढा़ने वाला होता है. इस समय आप अपने अधूरे कामों को पूरा करने के लिए काफी प्रयास करते हैं. आपको अपने भाई बंधुओं की ओर से भी चिंता अधिक रह सकती है. साथ ही उनकी ओर किसी न किसी बात को लेकर ध्यान भी अधिक लगा रह सकता है.

चौथे भाव में गुरु का गोचर

इस भाव में गुरु का गोचर करना आपके सुख को प्रभावित करता है. आप कुछ नवीन वस्तुओं की ख़रीद भी कर सकते हैं. माता की ओर से सुख और सहयोग भी मिल सकता है. ये समय आपको अपने घर और वाहन की प्राप्ति कराने में भी बहुत मददगार सिद्ध होता है. अपने कार्य क्षेत्र से भी आपको सकारात्मकता मिलती है.

पांचवें भाव में गुरु का गोचर

गुरु का गोचर पंचम भाव में होने पर शुभता देने में सहायक होता है. ये समय आप अपने प्रेम संबंधों, दांपत्य जीवन, और संतान सुख की कामना कर सकते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी आपका झुकाव अधिक रहता है. व्यक्ति इस समय के दौरान अपनी उच्च शिक्षा की ओर भी आगे बढ़ने की इच्छा रखता है.

छठे भाव में गुरु का गोचर

यहां बृहस्पति का गोचर समस्याओं को परेशानियों को दर्शाता है. इस समय नौकरी स्वास्थ्य और जीवन शैली में बदलाव आते हैं. आपको नया काम मिल सकता है. जातक को इस समय के दौरान व्यर्थ के वाद-विवाद से बचने की कोशिश करनी चाहिए.

सातवें भाव में गुरु का गोचर

इस भाव में गुरु का गोचर सामान्य होता है. मुख्य रुप से यहां दांपत्य जीवन में होने वाले बदलाव दिखाई देते हैं. व्यक्ति अपने वैवाहिक सुख को प्राप्त कर सकता है. इस समय जातक शादी भी कर सकता है. इस समय के दौरान जातक अपने व्यवसाय या अपनी पार्टनर शिप को लेकर भी सोच विचार में अधिक रह सकता है.

आठवें भाव में गुरु का गोचर

गुरु का आठवें भाव में गोचर शुभ नही होता है. जातक के लिए ये समय जीवन में अचानक से आने वाली परेशानियों को दिखाता है. आप किसी न किसी प्रकार की मानसिक चिंताओं से घिरे रह सकते हैं. इस समय के दौरान व्यक्ति को गुप्त संक्रमण जैसे रोग भी प्रभावित कर सकते हैं. पैतृक संपत्ति से जुड़े मसले भी इस समय आपके सामने उभर सकते हैं.

नवें भाव में गुरु का गोचर

बृहस्पति का नवम भाव में गोचर शुभता देने वाला होता है. जातक का ध्यान धर्म-कर्म की ओर आकर्षित होता है. उसे कई यात्राओं के मौके भी मिलते हैं. अपने पिता का सुख और उनसे सहयोग भी मिलता है. परिवार में कुछ नए समाचार भी सुनने को मिलते हैं.

दसवें भाव में गुरु का गोचर

बृहस्पति का दशम भाव में गोचर होना आपके कर्मों में होने वाले बदलावों को दिखाता है. ये समय आपके काम काज में नए लोगों के संपर्क में लाता है. आपके काम काज में वृद्धि होती है. राजनीति के क्षेत्र में और समाजिक रुप से व्यक्ति का नाम और दबदबा बढ़ता है.

ग्यारहवें भाव में गुरु का गोचर

बृहस्पति का एकादश भाव में गोचर होना आर्थिक लाभ देने में सहायक बन सकता है. साथ ही शिक्षा और संतान एवं बड़े भाई बंधुओं को लेकर अधिक विचारशील हो सकता है. कुछ यात्राओं को करने के मौके बनते हैं. अपने मित्रों के साथ मौज मस्ती के मौके भी प्राप्त होते हैं.

बारहवें भाव में गुरु का गोचर

बारहवें भाव में गुरु का गोचर अनुकूल नहीं माना जाता है. इस समय मानसिक चिंताएं बढ़ सकती हैं. व्यक्ति को व्यर्थ की भाग-दौड़ अधिक करनी पड़ सकती है. लाभ कम मिलता है और नुक्सान होने की संभावना अधिक रहती है. बारहवां भाव हस्पताल, शैय्या सुख का अभाव और जेल एवं किसी प्रकार के बंधन होने की स्थिति को भी दर्शाता है.

गुरु का धनु राशि में गोचर का फल

धनु राशि में गुरु का गोचर अनुकूल हो सकता है. धनु गुरु की स्वराशि है इस कारण इस राशि में स्थित होने पर गुरु शांत एवं सकारात्मक हो सकते हैं. धनु राशि अग्नि तत्व राशि है इस कारण गुरु का इस राशि में गोचर व्यक्ति में क्रोध और जल्दबाजी जैसी चीजों को बढ़ा सकता है. इस समय जातक का आत्मविश्वास बढ़ता है, मेहनत करने की भी क्षमता में वृद्धि होती है साथ ही चिंताओं से भी घिरे रहेंगे.

आजीविका (Jupiter’s Transit and Business for Sagittarius)

नौकरी एवं व्यवसाय के क्षेत्र में इन दिनों जातक को किसी प्रकार की जल्दबाजी से बचना चाहिए क्योंकि जल्दबाजी से लाभ की बजाय नुकसान हो सकता है. जातक के लिए अच्छा यह होगा कि धैर्य पूर्वक अवसरों का इंतजार करें और मौका मिलने पर मेहनत व बुद्धि से मौके का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करें. आपको अपनी योग्यता साबित करने का भी मौका मिलेगा. व्यावसायिक क्षेत्र में इन दिनों आपको भाग्य का अच्छा साथ मिलेगा और कामयाबी की ओर अग्रसर होंगे. यह समय नौकरी एवं कारोबार में बदलाव दिखाई दे सकते हैं. इस समय जो भी बदलाव हो उसे धैर्य के साथ अपनाएं.

आर्थिक विषय (Jupiter’s Transit and Finance for Sagittarius)

आर्थिक मामलों में आपके लिए उचित होगा कि अनावश्यक खर्चों में कमी लाने की कोशिश करें तथा बचत की आदत डालें अन्यथा आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इन दिनों धन सम्बन्धी विषयों में कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना भी उचित नहीं होगा. इसी प्रकार निवेश के लिए भी यह समय आपके पक्ष में नहीं है अत: इस सम्बन्ध में समझदारी से कार्य करना चाहिए.

अन्य विषयों में गुरू के घर परिवर्तन का प्रभाव

धनु राशि में गुरू का जाना यह बता रहा है कि अभी जातक सजग रहना चाहिए. किसी पर आंख बंद करके भरोसा करना हानिप्रद रह सकता है. पड़ोसियों एवं रिश्तेदारों से मधुर सम्बन्ध बनाये रखने प्रयास करना चाहिए नहीं तो उनके कारण परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है. गुरू की पंचम, सप्तम, नवम दृष्टि का प्रभाव जातक के जीवन में बहुत से बदलाव लाएगा. वैवाहिक सम्बन्ध जुड़ने की भी प्रबल संभावना रहेगी. गृहस्थी में जीवन साथी से सम्बन्धों में निकटता आएगी. संतान के लिए समय अच्छा रहेगा, उन्हें अपने प्रयासों में सफलता मिलेगी. लम्बी दूरी की यात्राओं से बचने की कोशिश करें क्योंकि यात्रा में कष्ट हो सकता है.

उपाय (Remedies)

इस अवधि में गुरू के अशुभ प्रभाव में कमी लाने व शुभ प्रभाव में वृद्धि के लिए भगवान विष्णु की पूजा घी का दीपक जलाकर करें. गुरूवार के लिए केसर अथवा हल्दी का तिलक लगाएं. बुजुर्गों का सम्मान करें. इन उपायों से आपको लाभ मिलेगा.

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