चन्द्र रत्न मोती - Pearl Gemstone Astrology, Properties and Benefits

रत्नो का संसार अपने आप में अदभूत संसार है. इन्हें जानने की जिज्ञासा व्यक्ति में प्राचीन काल से ही रही है. रत्नों के इस संसार को हम जितना जानते जाते हे. इसके प्रति हमारा जानकारी कम ही रहती है. रत्नों को लेकर कुछ किवंदतियां है, तथा कुछ अवधारणायें है जो पुराने समय से चली आ रही है. आईये जाने की रत्नों में ऎसा क्या है जो सदा से मनुष्य इनकी ओर आकृ्र्षित होता रहा है. रत्नों को भली प्रकार से जानने का प्रयास करें:-

चन्द्र कर्क राशि के स्वामी है. (Moon is the lord of Cancer)
तथा चन्द्र के शुभ फल प्राप्त करने के लिये मोती रत्न धारण किया जाता है. चन्द्र रत्न मोती शीतलता युक्त रत्न माना जाता है (Pearl is a cool gemstone in nature). इस रत्न को संस्कृ्त में मुक्ता, इंदुरत्न आदि नाम से पुकारा जाता है. इस रत्न को उर्दू, मराठी व हिन्दी में मोती कहा जाता है.

मोती पीला, फिका सफेद, हल्की नीली आभा वाला, लाल गुलाबी, हरा, सफेद इत्यादि रंगों में मोती पाया जाता है. मोती गोल, चपटे व लम्बे आकार में बाजार में उपलब्ध है.

मोती धारण के लाभ (Benefits of wearing a Pearl)
मोती चन्द्र का रत्न है. चन्द्र को मातृ्सुख, मन, घर से दूर प्रवास करना, आयात-निर्यात, दूध से बने पदार्थ, व्यापार, प्रेम आदि विषयों के लिये चन्द्र रत्न मोती धारण किया जा सकता है. इन में से किसी भी विषय वस्तु का सहयोग प्राप्त करना हों तो व्यक्ति के द्वारा मोती धारण करना लाभकारी रहता है.

मोती उन व्यक्तियों को भी धारण करना चाहिए. जिन्हें शीघ्र क्रोध आता है. क्रोध में कमी करने में यह रत्न विशेष सहयोगी होता है. मन को शान्त रखने के लिये भी यह रत्न धारण किया जा सकता है. मोती धारण करने से व्यक्ति की एकाग्रता में वृ्द्धि होती है.

मोती का आकार (Shape of an ideal Pearl)
जब असली मोतियों को समुद्र से प्राप्त किया जाता है. तब उस स्थिति में ये गोल आकार के न होकर लम्बें, चपटे या टेढे-मेढे होते है. जिन्हें बाद में प्रयोगशाला में सही आकार दिया जाता है. आजकल कई देशों में कृ्त्रिम मोती भी बनाये जाते है.

असली व कृ्त्रिम मोती में अन्तर (The difference between a real and artificial pearl)
कृ्त्रिम मोती के अन्दर एक गोळी होती है. जो असली मोतियों में नहीं होती है. इसके अलावा दोनों मोती का स्थायित्व एक समान होता है. अर्थात इनकी मजबूती लगभग एक समान ही होती है. मोती रत्न अन्य सभी रत्नों की तुलना में अत्यधिक म्रदु होता है. इसलिये दबाव या घर्षण के प्रभाव में आने पर इसकी ऊपरी सतह पर प्रभाव पडता है. दबाव में यह टूट भी सकता है. अधिक तापमान में एसिड के संपर्क में आने पर यह खराब भी हो सकता है.

मोती में स्वास्थय संबन्धी गुण (Health benefits of Pearl)
मोती की भस्म का सेवन व्यक्ति के बल में वृ्द्धि करता है. इस भस्म से मन को शीतलता प्राप्त होती है. मोती की भस्म को नेत्र रोगों, तपेदिक, खांसी, रक्तचाप, ह्रदय रोग, वायुविकार आदि रोगों में इसे प्रयोग किया जा सकता है.

चिकित्सा क्षेत्र में मोती को जिन रोगों के निवारण के लिये प्रयोग किया जा सकता है. उसमें पत्थरी रोग होने पर व्यक्ति को शहद के साथ इसकी भस्म का सेवन करना चाहिए.

आज के समय में मोती की भस्म का प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधनों में किया जाता है. मोती की भस्म का सेवन करने से क्रोध में कमी होती है. चिकित्सा जगत में मोती की भस्म के प्रयोग से दांतों का पीलापन, धब्बे दूर करने में सहयोग प्राप्त होता है. मोती की भस्म को चेहरे की चमक बढाने के लिये प्रयोग किया जाता है.

मोती की विशेष शक्तियां (Special Powers of Pearl)
मोती के विषय में यह कहा जाता है. की मोती को धारण करने से सभी मानसिक विकारों में कमी होती है. प्रेम प्रसंगों में मोती को धारण करने से इस विषय में सफलता प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. मोती धारण करने से व्यक्ति के स्वभाव के मृ्दुता के भाव में वृ्द्धि होती है.

मोती रत्न धारण करने के योग (Yogas for wearing Pearl)

  1. मन को शान्त करने के लिये मोती रत्न धारण किया जाता है. जब जन्म कुण्डली में चन्द्र पर कोई अशुभ प्रभाव होंने पर व्यक्ति को मोती धारण करने से लाभ प्राप्त होता है. (When Moon is malefic in nature)

  2. जन्म कुण्डली में चन्द्र जब सूर्य के साथ स्थित हों अथवा सूर्य जिस स्थान पर चन्द्र उससे पंचम भाव में हों तो व्यक्ति को इनमें से किसी भी ग्रह की महादशा व अन्तर्दशा में मोती रत्न धारण करना चाहिए.

  3. मिथुन लग्न की कुण्डली में च्नद्र दूसरे भाव के स्वामी बनते है, इस कुण्डली में चन्द्र जब छठे भाव में स्थित हों तो व्यक्ति को अपने पारिवारिक सुखों में वृ्द्धि करने के लिये मोती धारण करना चाहिए. जब कोई रत्न लग्न के अनुसार धारण न किया जा रहा हों तो उसके अशुभ फल प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है.

इस स्थिति में व्यक्ति चन्द्र कि महादशा - अन्तर्दशा में मोती धारण कर इस अशुभता में कमी करने का प्रयास कर सकता है.

  1. जन्म कुण्डली में चन्द्र की स्थिति चतुर्थ भाव या सप्तम भाव में होने पर व्यक्ति के मातृ्सुख व ग्रहस्थ सुख में कमी की संभावनाएं बनती है. कुण्डली के इन सुखों में वृ्द्धि करने के लिये मोती का धारण किया जा सकता है.

  2. जब कुण्डली में चन्द्र वृ्श्चिक राशि में हों तो व्यक्ति को मानसिक चिन्ताओं में कमी करने के लिये मोती रत्न धारण करना चाहिए. इस योग में चन्द्र कुण्डली के किसी भी भाव में चन्द्र पर अशुभ प्रभाव बना रहता है.

  3. चन्द्र किसी भी स्थान पर हों तथा उनपर राहू-केतू की दृ्ष्टि होंने पर व्यक्ति को चन्द्र संबन्धी तत्वों में कमी रहने की संभावना रहती है.

  4. चन्द्र की महादशा के पूर्ण शुभ फल प्राप्त करने के लिये चन्द्र रत्न मोती अवश्य धारण करना चाहिए.

  5. जब जन्म कुन्डली में चन्द्र व राहू दोनों एक साथ स्थित हों तो यह ग्रहण योग बनता है. यह योग व्यक्ति को मानसिक विकार दे सकता है. इन विकारों को दूर करने के लिये मोती रत्न का सहयोग लिया जा सकता है.

  6. चन्द्र की स्थिति अपनी राशि से जब छठे या आंठवें भाव में हों तो चन्द्र के इस अशुभ योग का दुष्प्रभाव को दूर करने के लिये चन्द्र रत्न मोती धारण करना चाहिए.

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