रत्नों के गुण (Qualities of the Gemstones)

किसी भी वस्तु या पदार्थ को पहचानना हों तो उसके लिये सबसे पहले पदार्थ या वस्तु के गुणों की जानकारी होनी चाहिए. गुणों को समझे बिना किसी रत्न के विषय में कुछ भी कहना कठिन होता है. विज्ञान के क्षेत्र में भी किसी भी पदार्थ को उसके गुणों से ही समझना चाहिए. आईये देखे की रत्नों को गुणों के आधार पर किस प्रकार पहचाना जा सकता है.

रत्नों से एक से अधिक रंगो की किरणें (Gemstones of more than One Color Auras)
रत्नों का एक महत्वपूर्ण गुण है की कुछ रत्नों में एक से अधिक / कम रंग की किरणें दिखाई देती है. रत्न को एक ओर से देखने पर एक रंग तथा दुसरी ओर से देखने पर दूसरा रंग दिखाई देता है. इस प्रकार के गुण नील, माणिक्य, पन्ना, पुखरा, एमेथिस्ट, टोपाज, मूनस्टोन आदि रत्नों में यह गुण पाया जाता है. इन में से किसी भी रत्न को पहचानने के लिये इस गुण की जांच की जा सकती है (consider this quality to find difference between the fake stone and real stone).

एक ही प्रकार की किरणें (Auras of the Same Color)
जिन रत्नों का रंग चारों ओर से एक जैसा दिखता है (one color from all the directions). उन रत्नों को इस श्रेणी के रत्नों में रखा जाता है. इस श्रेणी के रत्नों में हीरा, माणिक्य, झिरकाँन, ओपल आदि रत्न आते है. माणिक्य रत्न एक से अधिक रंगों की किरणों की श्रेणी में भी पाया जाता है. तथा इस प्रकार के श्रेणी में यह पाया जाता है.

बिल्ली की आंखो के रंग के रत्न (Gemstone of the Cat's Eye Color)
अनेक रत्न बिल्ली की आंखों मे रंगों में पाये जाते है (gemstones similar to the color of Cat's eye ). बिल्ली की आंखों को ध्यान से देखने पर उनमें रेखायें दिखाई देती है. इसी प्रकार की रेखायें तराशने से पूर्व के रत्नों में भी पाई जाती है. किसी रत्न में यह एक रेखा, किसी में चार, किसी में छ: रेखायें होती है (different number of lines in the gemstones). इस प्रकार के सभी रत्नों को बिल्ली की आंखों के रत्न कहा जाता है. इन रत्नों में मूनस्टोन, लोहित पाषाण, टायगर आदि रत्नों में यह विशेष गुण पाया जाता है.

रत्नों के रंग (Colors of the Gemstones)
रत्नों के रंग व आकर्षण के अनुरुप ही उनके रंग होते है. अलग- अलग रत्नों के रंग अलग- अलग होते है. रत्नों में भिन्नता "मेटालिक आँक्साईड" के कारण आती है (Difference occurs because of Metallic Oxide). इसके कारण ही फिरोजा, मूंगा, ओपल, तुरमलिन, अलेक्झान्ड्रा जैसे रत्न केवल अपने सुन्दर , मनोहारी छटा के कारण अन्य रत्नों में अपना स्थान बना पाते है. तुरमलिन रत्न में अनेक रंग दिखाई देते है.

तुरमलिन श्रेणी के किसी रत्न में ऊपरी हिस्सा सफेद तो निचला हिस्सा हरा, मध्य हिस्सा लाल व बाहरी हिस्से में नीला रंग स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है. इसी प्रकार अलेक्झान्ड्रा रत्न में तीन रंग की किरणें सूर्य के प्रकाश में अलग रंग की अथा छाया में अलग रंग के दिखाई देते है. परन्तु इन रत्नों के सभी रंग स्थायी नहीं होते है.

रत्नों के रंगों में बदलाव (Changeability in the Colors of Gemstones)
समय के अनुसार इन रत्नों का रंग बदलता रहता है. फिरोजा रत्न प्राप्ति के समय बेह्द खूबसूरत होता है. परन्तु प्रकाश के प्रभाव में आने पर इनका रंग बदल जाता है. रत्नों को जब प्रयोग में नहीं लाया जाता है. उस स्थिति में भी कई बार रत्नों का रंग फिका हो जाता है. तापमान बढने पर भी रत्न अपना रंग परिवर्तित करते है. परन्तु पन्ना रत्न लम्बे समय तक धारण करने पर भी अपने रंग को स्थायी बनाये रखता है (Emerald's color can stable for the long time).

रत्नों को तपाने ( अत्यधिक तापमान) से बचना चाहिए. अन्यथा उनका रंग उडने की संभावनाएं बनती है. मोती जैसे रत्न तो पसीने के प्रभाव में आने पर भी अपना रंग बदल लेते है.

रत्नों में रंगों के धब्बे होते है (Color Spots in the Gemstones)
कुछ रत्नों में रंग सारे रत्न में फैला हुआ न होकर उसके मात्र कुछ धब्बे ही दिखाई देते है. धब्बों की श्रेणी में पाये जाने वाले रत्नों में नीलम, एमेथिस्ट, टोपाज व पुखराज मुख्य रुप से पाये जाते है.

रत्नों पर ताप का प्रभाव (Impact of Temperature on the Gemstones)
हर रत्न पर ताप ( टेम्परेचर ) का अलग प्रभाव होता है. ओपल रत्न को ताप के संपर्क में लाने पर वह बीच से फूट जाता है. फिरोजा तापमान के संपर्क में आने पर रंगहीन हो जाता है ( If Amethyst comes in the contact of temperature then it will become colorless). एमेथिस्ट रत्न को जब गर्म किया जाता है. तो वह पीला हो जाता है. पीला पुखराज अत्यधिक तापमान के सीमा क्षेत्र में आने पर सफेद हो जाता है. मोती में दरारें पड जाती है.

तुरमलिन रत्न तापमान के प्रभाव में आता है तो उस रत्न से बिजली उत्पन्न होती है. जिस रत्न में रसायनिक पदार्थ अधिक होते है वह रत्न तापमान के सम्पर्क में शीघ्र अपना रंग बदलता है. इसलिये जहां तक हो सके, रत्नों को ताप से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए.

विधुत शक्ति (Lightening Power)
कुछ रत्नों में यह गुण पाया जाता है. कि जब वे गर्मी के संम्पर्क में आते है. तो उनमें विधुत शक्ति उत्पन्न होने की संभावना रहती है. कुछ रत्न ताप के सुचालक होते है. ताप संम्पर्क में आने पर भी वे ठण्डे रहते है ( they become conductive due to influenced by temperature). जो रत्न कुचालक होते है. वे ताप प्रभाव से गर्म हो जाते है. हीरा ताप सुचालक है.

पुखराज, मूंगा जैसे रत्न ताप के कुचालक है. स्फटिक, तुरमलिन, नीलम के रत्न विधुतमय होते है. कुछ रत्नों में घर्षण होने पर उनमें विधुत उत्पन होती है. अंबर, हीरा, तुरमलिन ये रत्न विधुत उत्पन करते है.

नकली रत्न (Fake Gemstones)
रत्न बहूमूल्य या कम मूल्य का हो सकता है (Gemstones can be expensive or cheap in rates). परन्तु आज बडे प्रमाण में बनावटी या नकली रत्न बाजार में पाये जाते है. बनावटी रत्नों को असली रत्नों में पहचानना मुशिकल काम है . फिर भी उपरोक्त गुणों को ध्यान में रखते हुए इन्हें पहचानने का प्रयास किया जा सकता है.

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