मंगल एवं कृष्णमूर्ति पद्धति - Qualities of Mars as per KP Astrology

ग्रहों में मंगल सेनापति माना जाता है. मंगल जोश और शक्ति से भरपूर ग्रह होता है. यह साहस व बल का कारक होता है. इसे उग्र, क्रोधी तथा उत्साही भी माना जाता है. मंगल से प्रभावित व्यक्तियों में पहल करने की क्षमता विशेष तौर पर पायी जाती है.

कृष्णमूर्ति पद्धति में मंगल का प्रभाव एवं उसके गुण के अतिरिक्त भी यह समझने की आवश्यकता होती है की मंगल कौन से भाव में बैठा होगा और किस ग्रह के नक्षत्र का प्रभाव उस पर है और वह खुद किसी ग्रह से प्रभावित है या नहीं है. मंगल एक अति साहसिक गतिविधि करने के लिए प्रेरित करने वाला ग्रह है. इसकी शुभता के प्रभाव से जातक किसी भी कठिन परिस्थिति या कोई भी दुसाहसिक काम को करने से पीछे नहीं हटता है. वहीं इसके अशुभ प्रभाव के कारण डरपोक होना और उत्साह की कमी होने जैसे प्रभाव दिखाई पड़ते हैं.

मंगल का शरीर के अंगों में प्रभाव (Placement of Sun in the Different Organs of Body as per Krishnamurthy system)

शरीर के अंगों में रक्त का कारक ग्रह मंगल को माना गया है. चन्द्र रक्त का संचालन करता है. प्रथम भाव व अष्टम भाव दोनों भावों में आने वाले अंगों को मंगल के अंगों की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि, काल पुरुष की कुण्डली में मंगल की राशि पहले भाव व अष्टम भाव में आती है. शरीर के अंगों में जिह्वा को भी मंगल के अधिकार क्षेत्र में रखा गया है.

मंगल के गुणों में मंगल को बल पूर्वक अपना अधिकार सिद्ध करने वाला कहा गया है. मंगल के प्रभाव क्षेत्र में अधिकारी, शक्तिशाली एवं प्रभावशाली व्यक्ति, नेतृत्व, युद्ध में धैर्य होता है. इन सभी विषयों में मंगल का गुण देखा जाता है. विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करते रहने की प्रवृति मंगल के फलस्वरूप आती है.

मंगल से पीड़त होने पर होने वाली बीमारियां (Disease Occur by Mars as per Krishnamurthy system)

मंगल शरीर में मज्जा को प्रभावित करता है, यह अग्निकारक होने के कारण शरीर में पित्त को भी बढ़ा सकता है. गर्मी से होने वाली बीमारियाँ, मुहांसे, रक्त विकार इत्यादि मंगल के प्रभाव से होने वाली बीमारियाँ हैं.

मंगल का आजिविका क्षेत्र (Vocation Related to Mars as per KP system)

सुरक्षा एजेन्सियां, पुलिस, सुरक्षाकर्मी (security guards), जासूस, हथियार, किसी भी विभाग में टीम लीडर की भूमिका, सैन्य विभाग, पुलिस विभाग मंगल के कार्य क्षेत्र में आते हैं. सर्जरी करने वाले डाक्टरों का कार्य भी मंगल के आजिविका क्षेत्र में आता है. नाई व कसाई का काम करने वाले व्यक्ति भी मंगल के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं. हथियार से लैस अंगरक्षक भी मंगल के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं. मंगल का सम्बन्ध शनि या केतु के साथ होने पर कम्प्यूटर इंजीनियर के कार्यो में भी मंगल सफलता दिलाता है.

मंगल के उद्योग (Business of Mars as per KP system)

इसके उद्योग में मिर्च-मसालों से संबन्धित चीजें, दालचीनी, अदरक (ginger), लहसुन, प्याज आदि को शामिल किया जाता है. घरों का निर्माण करने वाले, कांटेदार पेड़ (thorny plants), अच्छी लकडी, शराब व अल्कोहलिक पदार्थ व तम्बाकू उद्योग को मंगल से प्रभावित क्षेत्र माना जाता है. मंगल का प्रभाव आजीविका क्षेत्र पर होने से भूमि के क्रय-विक्रय का कार्य करना भी लाभदायक होता है. मंगल जब कुण्डली में शुभ होता है तब जोखिम व साहस पूर्ण कार्यो को करने से लाभ मिलने की संभावना रहती है. पर्वतारोही, पहलवान समेत साहस और बल से काम करने वाले सभी लोग मूल रूप से मंगल से प्रभावित रहते हैं.

मंगल के स्थान (Place of Mars as per KP system)

मंगल ऐसे स्थानों का प्रतिनिधित्व करता है जहां शक्ति का प्रदर्शन हो सके या जिस स्थान पर साहस की आवश्यकता हो, यह स्थान मंगल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इसके साथ ही आग से संबंधित कामों में में भी मंगल की भूमिका देखी जाती है. लडाई का मैदान, सैनिक अभ्यास स्थल, पुलिस स्टेशन, ऑपरेशन थियेटर, यंत्र निर्माण स्थल, रसोई घर इत्यादि को मंगल का स्थान माना जाता है.

मंगल से सम्बन्धित जीव-जन्तु (Animlas of Mars as per KP system)

शेर, लोमड़ी, कुत्ता आदि मंगल से प्रभावित जीव-जन्तु हैं.

मंगल से सम्बन्धित वनस्पति (Plants of Mars as per KP system)

मंगल तामसिक चीजों को दर्शाता है, या कहें ऎसा भोजन जो शरीर में गर्मी की तासिर बढ़ाता हो. लहसून, तम्बाकू, लाल रंग के फल, कड़े छिलके वाले फल आदि मंगल से प्रभावित वनस्पति होते हैं.

मंगल का भाव पर प्रभाव

  1. पहले भाव में मंगल की स्थिति व्यक्ति को मानसिक रुप से किसी भी काम को करने में क्रोध और जल्दबाजी से प्रभावित हो सकती है.

  2. मंगल का दूसरे भाव में होना, बोलचाल में तेज और कठोर भाषी बना सकता है. आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढा़व की स्थिति बनी ही रहती है.

  3. मंगल का तीसरे भाव में होना व्यक्ति को निडर और अधिक साहसी बनाता है. इस भाव में मंगल के प्रभाव स्वरुप व्यक्ति यात्रा अधिक कर सकता है. भाई बंधुओं से तनाव भी रह सकता है.

  4. मंगल चौथे भाव में होने पर जातक को घर में सुख की कमी रह सकती है. जमीन इत्यादि से कुछ लाभ मिल सकता है. पर घरेलू जीवन में वाद विवाद अधिक हो सकता है.

  5. पांचवें भाव में मंगल का प्रभाव होने पर व्यक्ति को अपनी बौधिकता का अभिमान भी दे सकता है. मित्रों की अधिकता होती है और दोस्तों के साथ मिलकर मौज मस्ती कर सकते हैं. मंगल के कारण संतान से संबंधित परेशानी झेलनी पड़ सकती है.

  6. मंगल की छठे भाव में स्थिति के कारण व्यक्ति में किसी भी कठिनाई को झेलने की आदत होती है. काम्पटीशन में बेहतर कर सकने की योग्यता भी मिलती है.

  7. मंगल का सातवें भाव में होने पर जातक क्रोध और मनमानी अधिक कर सकता है. अपने ही फैसलों पर अडिग रहने वाला होता है. प्रेम संबंधों की ओर झुकाव रहता है पर प्यार में बहुत अधिक संतोषजनक स्थिति मिलने में परेशानियां अधिक रहती हैं.

  8. मंगल का आठवें भाव में होना व्यक्ति को क्रोधी, बोलने में कठोर और पेट संबंधी विकार दे सकता है. किसी प्रकार की दुर्घटना के कारण परेशानी अधिक रह सकती है. पैतृक संपत्ति की प्राप्ति हो सकती है.

  9. मंगल का नवम भाव में होना, जातक को धार्मिक क्षेत्र की यात्राएं देता है. जातक बहुत अधिक तेजी से अपने काम में बदलाव भी लाता है.

  10. मंगल का दशम भाव में होने पर व्यक्ति अपने काम में उच्च अधिकारियों के साथ मेल-जोल द्वारा बेहतर परिणाम पा सकता है. प्रोपर्टी के काम भी कर सकता है.

  11. मंगल का एकादश भाव में स्थिति लाभ और मुनाफे की एक अच्छी स्थिति देती है. अपने काम में कई प्रकार के कामों में लाभ कमा सकते हैं. प्रेम संबंध अधिक रह सकते हैं और दोस्तों का साथ भी मिलेगा.

  12. मंगल का बारहवें भाव में होना जातक के लिए प्रयत्न करने वाला होगा. व्यक्ति स्त्री सुख पाने और भौतिक वस्तुओं का लगाव रखने वाला होगा.
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