शुभ फलदायी गजकेशरी योग (Auspicious Results of Gajkesari Yoga)

ज्योतिष शास्त्र में कई शुभ और अशुभ योगों का वर्णन किया गया है. शुभ योगों में गजकेशरी योग को अत्यंत शुभ फलदायी योग के रूप में मान्यता प्राप्त है. (When Jupiter and Moon forms a conjunction or an aspect relationship in Kendra houses a Gajkesari Yoga is formed) यह योग गुरू व चन्द्र की केन्द्र में युति होने से अथवा केन्द्र स्थान में स्थित गुरू व चन्द्र के मध्य दृष्टि सम्बन्ध होने पर बनाता है. केन्द्र के अलावे ये दोनों ग्रह त्रिकोण में नवम एवं पंचम होकर भी शुभ फल देते हैं. कुण्डली में इस योग के होने पर जहां कुछ लोग उन्नति करते हैं तो कुछ लोगों की कुण्डली में यह योग प्रभावहीन हो जाते है. इस संदर्भ में ज्योतिषशास्त्र कुछ नियमों की व्याख्या करता है कि कैसे यह योग शुभ फल देता और किन स्थितियों में यह प्रभावहीन होता है.

शुभ गजकेशरी योग (Auspicious Gajkesari Yoga)

जिस व्यक्ति की कुण्डली में शुभ गजकेशरी योग होता है वह बुद्धिमान होने के साथ ही विद्वान भी होता है.( The person will be practical and will have influential personality and will get respect and honor in the society) इनका व्यक्तित्व गंभीर व प्रभावशाली होता है जिससे समाज में इन्हें श्रेष्ठ स्थान मिलता है. आर्थिक मामलों में यह बहुत ही भाग्यशाली होते हैं जिससे इनका जीवन वैभव से भरा होता है. लेकिन यह तभी संभव होता है जब यह योग अशुभ प्रभाव से मुक्त होता है. गजकेशरी योग की शुभता के लिए यह आवश्यक है कि गुरू व चन्द्र दोनों ही नीच के नहीं हों. ये दोनों ग्रह शनि व राहु जैसे पापग्रहों से किसी प्रकार प्रभावित नहीं हों.

लग्न के अनुसार गजकेशरी योग (Gajkesari Yoga According to the Ascendant)

मेष (Gajkesari Yoga in AriesAscendant)

इस लग्न में गुरू व चन्द्र की युति शुभ फलदायी होती है.(The conjunction of these two planets in the fourth house in this Ascendant will give most auspicious results to the native) इस लग्न में इन दोनों ग्रहों की सबसे शुभ स्थिति चतुर्थ भाव में होती है. द्वितीय एवं पंचम में भी गुरू चन्द्र की युति शुभकारी मानी जाती है.

वृष (Gajkesari Yoga in Taurus Ascendant)

इस लग्न में चन्द्र उच्च का एवं आठवें घर का भी स्वामी होता है इसलिए इस लग्न में इन दोनों ग्रहों का योग बनने से गजकेशरी योग का शुभ फल मिलता है. (The auspiciousness of this Yoga will increase because Rajyoga is also formed in the birth-chart)इस लग्न में इस योग का शुभत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि, इससे विपरीत राजयोग भी निर्मित होता है.

मिथुन(Gajkesari Yoga in Gemini Ascendant)

इस लग्न में गुरू अगर धनु राशि में होता है तो गजकेशरी योग फलित होता है क्योंकि त्रिकोण राशि में होने से गुरू का केन्द्राधिपति व सप्तमाधिपति दोष प्रभावहीन हो जाता है.

कर्क (Gajkesari Yoga in Cancer Ascendant)

( Jupiter is a lord of the sixth house and ninth house in this birth-chart) इस लग्न में गुरू षष्ठेश एवं भाग्येश होता है. अगर लग्न का स्वामी चन्द्रमा लग्न में बैठा हो और गुरू मेष में स्थित हो या फिर गुरू कर्क में हो और चन्द्र मेष में तब भी उत्तम गजकेशरी योग बनता है जो व्यक्ति के लिए शुभ फलदायी होता है.

सिंह (Leo)

सिंह लग्न की कुण्डली में गजकेशरी योग तब शुभफलदायी होता है ( when Jupiter is located in Pisces and moon is placed in the Sagittarius) जब गुरू मीन राशि में बैठा हो और चन्द्रमा धनु राशि में बैठा हो. अन्य स्थितियों में इस योग के फलों में कमी आती है.

कन्या (Gajkesari Yoga in Virgo Ascendant

इस लग्न में गुरू अगर अपनी राशि में बैठा होता है तो केन्द्राधिपति दोष से मुक्त हो जाता है.( In this position, if Jupiter is placed in Pisces and Moon is located in Sagittarius or Pisces then Gajkesari yoga will formed) इस स्थिति में गुरू अगर मीन राशि में हो तथा चन्द्रमा धनु या मीन में बैठा हो तो इसे शुभ फलदायी गजकेशरी योग माना जाता है तो व्यक्ति को गुणवान व वैभवशाली बनाता है.

तुला (Gajkesari Yoga in Libra Ascendant)

इस लग्न की कुण्डली में गजकेशरी योग का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है फिर भी यदि कर्क राशि में गुरू हो और मकर राशि में चन्द्रमा तो कुछ हद तक शुभ फल की उम्मीद की जा सकती है. लेकिन, इसमें एक अच्छी बात यह होती है कि (Combination of Jupiter and Moon forms Hansa Yoga which is one of the very auspcious Yoga) गुरू चन्द्र की इस स्थिति से हंस योग बनता है जिनका इन्हें अत्यंत शुभ फल मिलता है.

वृश्चिक(Gajkesari Yoga in Scorpio Ascendant)

(Jupiter is the lord of the second and fifth house and Moon is a lord of the ninth house)इस लग्न की कुण्डली में गुरू द्वितीय व पांचवें घर का स्वामी होता है जबकि चन्द्रमा भाग्य स्थान का स्वामी होता है. गुरू इस कुण्डली में अगर लग्न में हो और चन्द्रमा सातवें घर में वृष राशि में तो दोनों के बीच दृष्टि सम्बन्ध बनता है जिससे यह योग बहुत ही शुभकारी होता है.

धनु (Gajkesari Yoga in Sagittarius)

इस लग्न में चन्द्र अष्टमेश होने के कारण गजकेशरी योग का पूर्ण फल नहीं मिलता है (If Jupiter is in the sign Scorpio and Moon is in the sign Taurus then it will give you auspicious results)लेकिन गुरू अगर वृश्चिक राशि में हो और चन्द्रमा वृष राशि में तो इस योग का शुभ फल मिल सकता है.

मकर (Gajkesari Yoga in Capricorn Ascendant)

(This Ascendant is average for Gajkesari Yoga)मकर लग्न की कुण्डली में गजकेशरी योग सामान्य फलदायी होता है क्योंकि इस लग्न में गुरू तीसरे व बारहवें घर का स्वामी होता है जबकि चन्द्रमा सातवें घर का.

कुम्भ (Gajkesari Yoga in Aquarius Ascendant)

कुम्भ लग्न की कुण्डली में भी गजकेशरी योग सामान्य फलदायी होता क्योंकि इस राशि में चन्द्रमा छठे भाव का स्वामी होता है. ( As per Vedic astrology, this house does not consider as an auspicious house) ज्योतिषशास्त्र में इस घर को शुभ स्थान नहीं माना जाता है.

मीन लग्न (Gajkesari Yoga in Pisces Ascendant)

गुरू की इस राशि में गजकेशरी योग बने तो बहुत ही शुभकारी होता है. इसका कारण यह है कि (Jupiter is a lord of the Ascendant and tenth house though Moon is a lord of the fifth house)इस लग्न में गुरू लग्नेश व दशमेश होता है जबकि चन्द्रमा पांचवें घर का स्वामी होता है.

सभी लग्नों में मिथुन, कन्या, वृश्चिक एवं मीन लग्न में बनने वाला गजकेशरी योग सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. अन्य लग्नों में इसका प्रभाव इनकी अपेक्षा कम होता है.

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